Saturday, February 21, 2009

खाली बाल्टियाँ...

कविता

खाली बाल्टियाँ


मेरी माँ का नाम

लालमणि था

और,

पिता का रंगीलेलाल

मेरी माँ

मेरे पिता के भीतर

घुली हुई थी

एक

पक्के रंग की तरह

पिता का रंग सांवला था

पर चेहरा

दमकता हर क्षण

एक मणि की तरह

किसी इच्छाधारी नाग की

मणि नहीं थी- माँ

पर, इच्छाएं कैद थी

माँ की गोरी लाल हथेलियों में

माँ ने कभी नहीं चाहा

हवाएं उनकी कैद में रहें

आकाश आंचल में सिमटे

और,

समुद्र की ठंडी रेत

उनके नर्म तलुओं को सहलाए

माँ ने चाहा था

तो सिर्फ़ इतना कि-

अपने घोंसले में

वह दमकती रहे-एक मणि की तरह

लाल ईंटो वाले आँगन में

माँ की खुशियाँ

ज़िन्दगी के नलके के नीचे रखी

पीतल, लोहे और प्लास्टिक की बाल्टियों में

पानी की तरह भरी हुई थी

पर एक दिन

सूखा पड़ा-धरती फटी

बचपन में सुनी कहानी का दुष्ट राक्षस

सारा पानी पी गया

पिता,

दूर देश गए पानी लेने

और नहीं लौटे

माँ कैसे रुकती?

माँ की ज़िन्दगी जिस पिंजरे में थी

वह पिता साथ ले गए थे

और अब

ईंटो वाले आँगन मे घना अंधेरा है

उस अंधेरे के बीच

नलके की सारी बाल्टियाँ खाली हैं....




7 comments:

  1. बहिन मानी जी , आपकी यह कविता मैंने पढ़ी ; श्रीमती काम्बोज ने भी सुनी । सचमुच ऐसी रचनाएँ ही सही मायने में कविता हैं। ऐसी कविताएँ रचनाकर की आत्मा का हिस्सा होती हैं। हज़ारों रचनाओं पर भारी है , आपकी यह कविता-खाली बाल्टियाँ ।

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  2. बहुत सुन्दर,
    तारीफ के लिए शब्द नही है

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  3. मानी जी
    प्रियंका से आप के ब्लाग का लिंक जाना
    कविता का एक-एक शब्द बहुत ही गहरे भाव समेटे हुए है
    हर शब्द दिल से निकला हुआ
    माँ के जीवन का सुन्देर चित्र आप की इस कविता मे मिलता है ..कैसे घर की डोरी माँ से बँधी हुई है
    बहुत-बहुत बधाई
    हरदीप

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  4. मानी जी
    प्रियंका से आप के ब्लाग का लिंक जाना
    कविता का एक-एक शब्द बहुत ही गहरे भाव समेटे हुए है
    हर शब्द दिल से निकला हुआ
    माँ के जीवन का सुन्देर चित्र आप की इस कविता मे मिलता है ..कैसे घर की डोरी माँ से बँधी हुई है
    बहुत-बहुत बधाई
    हरदीप

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  5. मानी जी
    प्रियंका से आप के ब्लाग का लिंक जाना
    कविता का एक-एक शब्द बहुत ही गहरे भाव समेटे हुए है
    हर शब्द दिल से निकला हुआ
    माँ के जीवन का सुन्देर चित्र आप की इस कविता मे मिलता है ..कैसे घर की डोरी माँ से बँधी हुई है
    बहुत-बहुत बधाई
    हरदीप

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  6. बहुत बेहतरीन कविता है मैम...

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