कविता
मेरी कविता
अक्सर मै
कविता
ऐसे ही लिख जाती हूँ
जैसे
किसी सर्द रात में
चुपके से
याद तुम्हारी आती है
या फिर
किसी चाँदनी रात में
सफ़ेद-
खरगोशी बर्फ़ का लिहाफ़ ओढ़ कर
तकती
सारी रात आकाश को
पता नहीं कब
ऐसे में
बह जाती पंक्तियाँ
तारावलियों की
किसी कविता की काव्यमय धारा सी
सोचती हूँ
रचना छोड़ दूँ कविता
पर
आसान नहीं यह
पता नहीं कैसे-कब
होंठो पर
लाली सी रच जाती है
कविता...।
( दोनों चित्र गूगल से साभार)
यूँ ही बन जाती है कविता ..सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteकोमल भावपूर्ण रचना......
ReplyDeleteकोमल,मासूम,खूबसूरत सी कविता!!!!:):)
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