काथम

A Hindi personal blog of fiction which includes short stories and poems. Some memoirs and articles are also there written in Hindi.

Friday, August 16, 2024

इंद्रधनुष के पीछे

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 कुछ दिनों पहले इसी ब्लॉग पर आपने मेरे लेखन के शुरुआती दौर में मेरी लिखी पहली कहानी- गिल्लू - पढ़ी थी, जिसपर अस्सी के दशक में मिली सकारात्मक...
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कुछ मेरी बात

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प्रेम गुप्ता `मानी'
रेगिस्तान की गर्म...तपती-बलुई ज़मीन पर नंगे पाँव चलने की मजबूरी कैसी होती है, यह तो वही बता सकता है जिसके पाँव में छाले हों। यह छाले जब फूटते हैं तो एक अजीब सी टीसन देते हैं। इस टीसन से घबरा कर ज़िन्दगी कभी किसी अन्धी खाई की ओर जाने लगती है, तो कभी किसी रोशनी से रूबरू होकर एक नई दिशा की ओर मुड़ जाती है। मैने ज़िन्दगी को दर्द के इसी आइने में देखा है...। यह दर्द जब स्याही बन कर कागज़ पर छलका, तब कुछ कहानियों ने जन्म लिया। रही बात कविताओं की...तो वो जन्म ही कहाँ लेती हैं...वो तो उन्मुक्त नदी सी बस बह निकलती है, हर बंधन से आज़ाद...
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