tag:blogger.com,1999:blog-6400730260343008736.post5971852966910804119..comments2023-07-03T08:34:43.757-07:00Comments on काथम: नियतिप्रेम गुप्ता `मानी' http://www.blogger.com/profile/03031758649360861323noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6400730260343008736.post-26648879894268814332011-04-13T18:14:36.857-07:002011-04-13T18:14:36.857-07:00प्रिय मानी जी ,
इस कविता का अपना ही रंग है ......
...प्रिय मानी जी ,<br />इस कविता का अपना ही रंग है ......<br />गुलाब का फूल सूखा ही चाहे क्यों न हो किसी की याद बनाए रखता है !<br />अब यह तो फूल टाँकने वाले पर है कि उसके जीवन में इस फूल की क्या अहमियत है ...? बदलते कपड़ों के साथ क्या वह किसी के लिए दिली भावनाएँ भी बदल देता है क्या ?<br />प्रेम को एक नई परिभाषा देती यह कविता !<br />हरदीपShabad shabad https://www.blogger.com/profile/09078423307831456810noreply@blogger.com